Thursday, January 24, 2013

Vishnu Sahastranam Sloka 2



पूतात्मा परमात्मा च मु्क्तानां परमा गति:।
अव्यय: पुरुष: साक्षी क्षेत्रज्ञोऽक्षर एव च। ।


पूतात्मा :- पवित्रात्मा

परमात्मा :- श्रेष्ठ आत्मा, परम आत्मा

मु्क्तानां परमा गति: :- जो मुक्तों की परम गति है

अव्यय: :- जिनका व्यय नहीं होता

पुरुष: :- जो अनादि पूर्ण पुरुष है

साक्षी :- जो सबके कर्मों के साक्षी हैं

क्षेत्रज्ञ :- जो क्षेत्र के ज्ञाता हैं

अक्षर :- जिनका कभी क्षरण नहीं होता

Poota-atmaa :-Extremely Pure (Pootam) Soul
Parama-atmaa :-The Supreme Soul.
Muktaanaam Paramaa Gatih :- Ultimate goal for liberated/Mukt/released soul.
Avyayah :- The unexpendable.
Purushah:- Existed before anything else/ who completes existence everywhere
Sakshi :- Observer / Witness of all the actions of all.
Kshetragya:- One who knows the body and all the experiences from within the body.

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