Thursday, January 24, 2013

Vishnu Sahastranam Sloka 5



स्वयंभू: शम्भुरादित्य: पुष्कराक्षो महास्वन: |
अनादिनिधनो धाता विधाता धातुरुत्तम: ||


स्वयंभू: :- जो स्वयं उत्पन्न हुए हैं

शम्भु: :- जो सुख की भावना उत्पन्न करतें हैं/ जो शुभता प्रदान करते हैं

आदित्यः :- जो अदिति के पुत्र हैं / जो सूर्य के रूप में भी प्रकट हैं

पुष्कराक्षो / पुण्डरीकाक्ष : जो कमल के सामान नेत्र वाले हैं

महास्वनः :- जो महान घोष वाले हैं

अनादिनिधनो :- जो जन्म मृत्यु से परे हैं

विधाता :- जो कर्म तथा फल के निर्धारक व करता हैं

धाता :- जो धारण करने वाले हैं

धातुरुत्तम: :- जो धातुओं में सर्वश्रेष्ठ हैं

Svayambhuh:- He who manifests Himself by His own free will.
Shambhuh:- One who causes happiness to everyone/ He who brings auspiciousness
Adityah :-The son of Aditi/ The one who manifested as the sun
Pushkarakshah:- The Lotus-eyed.
Maha-svanah:- He who has venerable sound
Anadi-nidhanah:- One who is without beginning or end.
Dhata:- He who holds and supports all
Vidhata:- The dispenser of fruits of action / One who grants the fruits of action to everyone
Dhaturuttamah:- The superior among all Dhatus

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